अकबर बीरबल के किस्से
एक बार की बात है, बीरबल को दरबार आने में देरी हो गई।
राजा अकबर बेसब्री से बीरबल का इंतजार कर रहे थे।
“बीरबल, तुम इतनी देर से क्यों आए?” राजा ने पूछा।
“महाराज, बच्चों की जिद का सामना करना मुश्किल हो गया था।” बीरबल ने उत्तर दिया।
“बच्चों को मनाना इतना भी कठिन नहीं है,” राजा ने कहा।
“अगर उन्होंने माना नहीं, तो हम उन्हें डांटेंगे,” राजा ने जताया।
“महाराज, बच्चों की जिद को समझाना कठिन होता है।” बीरबल ने कहा।
राजा ने उनसे कहा, “तुम्हें यह बात सिद्ध करने की शर्त पर, बच्चों के जैसे व्यवहार करना होगा।”
अगले ही पल बीरबल बच्चों की तरह चिल्लाने और रोने लगे।
राजा ने उन्हें मनाने के लिए गोद में उठा लिया।
बीरबल ने गोद में बैठकर राजा की लंबी मूछों से खेलने लगे।
जब बीरबल मूछों से खेलकर थक गए तो गन्ना खाने की जिद करने लगे।
राजा ने बीरबल को गन्ना लाने का आदेश दिया।
जब गन्ना लाया गया तो बीरबल ने नयी जिद पकड़ ली कि उन्हें छिला हुआ गन्ना चाहिए।
“इसमें छिला हुआ गन्ना कहाँ है?” बीरबल ने चिल्लाया।
“बीरबल, तुम्हें तो बड़ा गन्ना दिया गया है,” राजा ने कहा।
“मुझे छोटे-छोटे टुकड़ों में चाहिए!” बीरबल ने कहा।
बीरबल की जिद को पूरा करने के लिए गन्ने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा गया।
राजा ने उन टुकड़ों को बीरबल को खाने के लिए दिया।
बीरबल ने उन टुकड़ों को जमीन पर फेंक दिया।
“तुमने गन्ने को क्यों फेंका?” राजा ने पूछा।
“मुझे छोटा नहीं, बड़ा गन्ना चाहिए,” बीरबल ने उत्तर दिया।
“तो यहाँ है, बड़ा गन्ना!” राजा ने कहा।
“मुझे इन छोटे-छोटे टुकड़ों को जोड़कर खाना है!” बीरबल ने कहा।
राजा ने बीरबल की जिद को सुनकर गुस्से से उठकर बैठ गए।
बीरबल ने अपना नाटक खत्म किया और राजा के समक्ष आए।
“क्या अब आप समझते हैं कि बच्चों को समझाना कितना मुश्किल होता है?” बीरबल ने पूछा।
राजा ने हाँ में सिर हिलाया और बीरबल को देख मुस्कुराया।
सीख –
इस कहानी से हमें यह जानने को मिलता है कि बच्चे बहुत मासूम होते हैं। उनके सवालों और जिद को समझना और उन्हें शांत करना अक्सर मुश्किल होता है। लेकिन प्यार और समझ से ही उन्हें सही राह दिखाई जा सकती है।
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