दयाम – Horror Hindi Story
Sleep time horror Hindi story
रात काली थी, घना जंगल और भी घना हो गया था पेड़ों के घने साये में. अविनाश और मैं, बचपन के दोस्त, पेड़ों की जड़ों पर ठिठक कर खड़े हो गए. जंगल की सन्नाटे को चीरती हुई एक अजीब सी आवाज गूंज उठी. ना चीख, ना दहाड़, बस एक लंबी, खींची हुई चीख जो हवाओं में कांप रही थी.
अविनाश ने मेरा हाथ पकड़ लिया. उसकी हथेली पसीने से तर थी. “चलो वापस चलते हैं राहुल, यह जंगल सुरक्षित नहीं है.”
मैंने उसे टोका, “कुछ नहीं है अवि, शायद कोई जंगली जानवर होगा. चलो थोड़ा आगे बढ़ते हैं.”
लेकिन अविनाश टस से मस नहीं हुआ. तभी, अंधेरे में दो लाल बिंदियां चमक उठीं. वे बिंदियां धीरे-धीरे हमारी तरफ बढ़ रही थीं. मेरी सांसें थम गईं. वह चीख तो यही थी!
पेड़ों के झुरमुट से एक खौफनाक चेहरा निकला. आंखें चमकती हुई राक्षसों जैसी, मुंह से ल लंबे, घुमावदार नुकीले दांत निकले हुए थे. उसका शरीर ऊंचा और दुबला था, पैर इंसानों जैसे नहीं बल्कि एक बकरे के जैसे खुरदरे थे.
“दयाम!” अविनाश चीखा.
वह नाम सुनकर मैं स्तब्ध रह गया. दयाम तो हमारे गाँव का सबसे नेक इंसान था. जंगल में जड़ी-बूटियों को जानने वाला, गाँव वालों का मसीहा.
“अविनाश, यह दयाम नहीं हो सकता,” मैं ललकारा.
लेकिन दयाम, या जो भी ये खौफनाक चेहरा था, वह अब हम पर हमला करने के लिए झुका हुआ था. अविनाश चीखा और पेड़ों के बीच भाग गया. मैं भी उसकी तरफ भागा, पर उस चीज़ ने मुझे पीछे से धक्का दे दिया.
मैं जमीन पर गिरा, मेरी टांग में तेज दर्द उठा. मैं चीखा, “अविनाश!”
लेकिन जवाब में सिर्फ सन्नाटा था. गगनभेदी चीख फिर गूंजी, इस बार ज्यादा करीब से. मेरी आंखों से आंसू छलक पड़े. अविनाश… नहीं!
दर्द और डर के मारे मेरी हालत खराब थी. तभी, उस खौफनाक चेहरे ने मेरा हाथ पकड़ लिया. मैंने ऊपर देखा, उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी.
“अविनाश को नहीं, मुझे बचाना चाहिए था,” उसने गुर्राने वाली आवाज में कहा.
उसकी आवाज दयाम की जानी-पहचानी सी थी. क्या… क्या दयाम वाकई वो राक्षस था? या फिर…
लेकिन उसका सवाल मेरे दिमाग में गूंजता रहा – “अविनाश को नहीं, मुझे बचाना चाहिए था.”
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