चोर और मिठाई की दुकान
Motivational Hindi Story
मोहनपुर की गलियों में मशहूर थीं ‘मदन मोहन की मिठाई’ की दुकान। उनकी कारीगरों के हाथों से निकलीं मिठाइयां दूर-दूर तक मशहूर थीं। तीन चोर – मोटू, पतला और बुढ़िया – इस दुकान को निशाना बनाने का मन बना बैठे। मोटू, योजना बनाने में माहिर था, पतला फुर्तीला चोर था, और बुढ़िया अपने छद्मवेश के लिए जानी जाती थी।
रात के अंधेरे में, तीनों दुकान के पीछे वाले रास्ते से घुसे। मोटू ताला तोड़ने में लगा, पर ताला हिलने को भी तैयार नहीं था। उसने जोर लगाया, ताला टूटा तो जरूर, लेकिन आवाज भी खूब हुई।
अचानक, अंदर से दुकान का मालिक, मदन मोहन, नींद से चौंककर जागा। वह बाहर आया और चोरों को देखकर चीखा, “चोर! चोर!”
पतला दुकान के अंदर घुसा और जल्दी से कुछ बक्से एक थैले में भरने लगा। अचानक, उसका पैर फिसला और वह जमीन पर गिर पड़ा। बक्सों के ढक्कन खुल गए और मिठाइयां चारों तरफ बिखर गईं। पतला मिठाइयों के बीच लुढ़कते हुए उठा और मुंह में एक लड्डू ठूंस लिया।
इधर, मोटू और बुढ़िया ताला तोड़ने के शोर से दूर भाग रहे थे। उन्हें एक कुत्ते के भौंकने की आवाज सुनाई दी। डर के मारे, वे एक खुले गड्ढे में गिर गए। गड्ढा मदन मोहन की खेत की खाद का था, और दोनों चोर उसमें पूरी तरह से डूब गए।
मदन मोहन बाहर निकलकर देखता है तो उसे पतला जमीन पर लुढ़कते हुए और उसके दो साथी गड्ढे में धंसे हुए दिखाई देते हैं। उसे समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है।
पतला उठकर मदन मोहन के पास गया और घबराते हुए बोला, “मैं… मैं कोई चोर नहीं हूं। मुझे बहुत भूख लगी है।”
मदन मोहन को उनका हास्यास्पद हाल देखकर हंसी आ गई। उसने उन्हें गड्ढे से निकाला और साफ करने में मदद की। उसने उन्हें घर के अंदर बुलाया, उन्हें खाना खिलाया और उनकी कहानी सुनी।
यह जानकर कि वे दरअसल बेरोजगार हैं और भूख से मजबूर होकर चोरी करने का प्रयास कर रहे थे, मदन मोहन का दिल पसीज गया। उसने उन्हें अपनी दुकान में काम करने का ऑफर दिया। तीनों चोर खुशी-खुशी से राजी हो गए।
मोटू दुकान की साफ-सफाई करने लगा, पतला चालाकी से ग्राहकों को लुभाने लगा, और बुढ़िया अपनी पाक विद्या से दुकान की मिठाइयों में नया स्वाद भरने लगी।
कुछ ही समय में, उनकी मेहनत रंग लाई। दुकान पहले से भी ज्यादा चलने लगी। मोहनपुर में अब ‘मदन मोहन की मिठाई’ की दुकान चोरों की वजह से नहीं, बल्कि उनकी लजीज मिठाइयों और कहानी के लिए मशहूर हो गई।
कहानी से सीखे गए सबक
1. अपराध का कोई फायदा नहीं: कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अपराध करने से कभी कोई फायदा नहीं होता। चोरों को जो कुछ मिला, वह केवल मुसीबत थी।
2. ईमानदारी का महत्व: मदन मोहन की ईमानदारी और दयालुता ने चोरों का दिल बदल दिया। यह हमें सिखाता है कि ईमानदारी हमेशा फायदेमंद होती है।
3. हर व्यक्ति में सुधार की गुंजाइश होती है: चोरों ने अपनी गलती को सुधारा और अच्छे इंसान बन गए। यह हमें सिखाता है कि हर व्यक्ति में सुधार की गुंजाइश होती है।
4. दूसरी नजर से देखना: मदन मोहन ने चोरों को दंड देने की बजाय उन्हें समझने की कोशिश की। यह हमें सिखाता है कि हमें हर स्थिति को दूसरी नजर से देखना चाहिए।
5. मेहनत का फल मीठा होता है: जब चोरों ने ईमानदारी से काम करना शुरू किया तो उन्हें सफलता मिली। यह हमें सिखाता है कि मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है।
6. मौका मिलने पर बदलाव ला सकते हैं: चोरों को जब एक मौका मिला तो उन्होंने अपनी जिंदगी बदल ली। यह हमें सिखाता है कि हर किसी को एक मौका मिलना चाहिए।
7. भोजन का महत्व: भोजन ने चोरों का दिल पिघलाया और उन्हें बदलने में मदद की। यह हमें सिखाता है कि भोजन सिर्फ पेट भरने का काम नहीं करता, बल्कि यह लोगों को जोड़ने का काम भी करता है।
यह कहानी हमें सिखाती है कि हर व्यक्ति के अंदर अच्छाई होती है और उसे बाहर लाने के लिए बस थोड़ा सा प्यार और समझदारी की जरूरत होती है।
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