अकबर-बीरबल की कहानी: कौन है असली मां? | Kahani Kon hai asali maa
एक बार शहंशाह अकबर के दरबार में बहुत ही अजीब मुकदमा आया, जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया।
अकबर: “ये मुकदमा क्या है?”
बीरबल: “माहराज, एक महिला और उसकी साथी दोनों माँ बनने का दावा कर रही हैं।”
अकबर: “कैसे पता चलेगा कौन असली मां है?”
बीरबल: “मुझे पूरा विश्वास है महाराज, मैं इसे हल कर सकता हूँ।”
अकबर ने बीरबल को आज्ञा दी कि वह मुकदमा सुलझाए।
बीरबल ने दोनों महिलाओं को बुलाया और कहा, “तुम्हारा न्याय होगा, पर इसके लिए तुम्हें मेरे साथ आना होगा।”
महिलाएं बीरबल के साथ चली और उनके सामने एक बच्चा खड़ा था।
बीरबल: “इस बच्चे को तुम्हें दोनों माँ बनने का हक है, लेकिन एक शर्त पर।”
महिलाएं कुछ सोचीं।
बीरबल: “इसे दो टुकड़े किया जाएगा। एक टुकड़ा एक माँ को, और एक टुकड़ा दूसरी माँ को।”
पहली महिला: “मुझे यह मान्य है।”
बीरबल: “और तुम?”
दूसरी महिला रोने लगी: “नहीं! मेरा बच्चा नहीं काटो।”
बीरबल: “तो यही सच्चाई है।”
अकबर: “क्या मतलब है?”
बीरबल: “सच्ची माँ हमेशा अपने बच्चे की रक्षा करेगी, चाहे जितनी भी मुश्किलें क्यों ना हों।”
अकबर ने दूसरी महिला को बच्चा दे दिया और पहली महिला को जेल में डाल दिया।
कहानी से सीख:
- हमें कभी भी किसी दूसरे की चीज पर अपना हक नहीं जताना चाहिए।
- सच्चाई की हमेशा जीत होती है।
- समझदारी से काम लेने पर हर समस्या का हल निकल आता है।